अपनी पथगामिनी खुद ही बनो

ज़िन्दगी में लोग आते-जाते रहेंगे 

कभी तुम अपनी मर्ज़ी से रहना नहीं चाहते 

तो कभी क़िस्मत तुम्हारे पास रहने नहीं देगी 

लेकिन तुम, तुम ही रहना।

 

जैसे फूल, सूखने के बाद भी नहीं छोड़ता अपनी महक 

जैसे पत्थर, ढांचे में ढलने के बाद भी नहीं छोड़ता अपनी कठोरता

जैसे परिंदे, मीलों दूर जाने के बाद भी नहीं छोड़ते अपने आशियाने 

जैसे सूरज, डूबने के बाद भी नहीं भुलता पुनः निकलना

जैसे चांद में, दाग़ रहने के बाद भी नहीं छोड़ता निखरना 

जैसे नदियां, लाख बाधाएं आने के बावजूद भी नहीं देखती पीछे मुड़कर

वैसे ही लाख मुसीबतें आ जाएं, तुम अपनी पथगामिनी खुद ही बनना।

Viñi 💫

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