आदत बदल गई है अब लौटना नहीं
चलने लगा हूं तन्हा अब लौटना नहीं
मंजिल मिले या ना मिले ये गम नही मुझे
राहों में बीते उम्र पर अब लौटना नहीं
बिगाड़ गए हो तुम मेरे ख्वाबों का महल
फिर से बना रहा हूं तुम लौटना नहीं
राहें वफा पे मैंने ठोकर जो खाई तुमसे
मैं अब संभल रहा हूं तुम लौटना नहीं
यादों में तेरी टूट कर रोता था हर घड़ी
सब यादें मिटा रहा हूं अब लौटना नहीं
प्यार भरे दिल को चकनाचूर कर दिया
टुकड़े उठा रहा हूं अब लौटना नहीं
– भारत मौर्या