ए इश्क़ इस तरह तेरे जंजाल में है हम
आकर के पूछ तू कभी किस हाल में है हम
तेरे बग़ैर किस कदर बीते हैं दो बरस
जो हाल पिछले साल था उस हाल में है हम
तुम प्यार थे या थे कोई झोंका हवाओं का
कमबख्त अब तलक इसी सवाल में है हम
जाना ही था तो जाते आज़ाद कर हमें
बुनकर गए हो तुम जो उसी जाल में हैं हम
खुद की तलाश में ही फिरते हैं दर बदर
हर वक्त ख़ुदकुशी के ख्याल में है हम
– भारत मौर्या