किताबों से इश्क़

उनको तो अपने शोख़ रूवाबों से इश्क़ था 

भेजे हुए रक़ीबों के गुलाबों से इश्क़ था 

साग़र में भी आकर के जो वापस चलीं गईं 

उन मछलियों को सिर्फ तालाबों से इश्क़ था

दौलत की चमक ने उन्हें अंधा बना दिया

किरदार नहीं अच्छे लिबाज़ो से इश्क़ था 

यारों मैं उनकी फितरत को और क्या लिखूं

अमृत मिला था उनको शराबों से इश्क़ था 

छल से भरी निगाहों को पढ़ ही न सके हम

पढ़ते भी कैसे हमको किताबों से इश्क़ था 

 

                          – भारत मौर्या 

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