किताब

अक्सर किताबों ने ही समझा मुझे 

संभाला मुझे 

लौट जाता हूँ 

जैसे बच्चे रोने पर दौड़कर लिपट जाते हैं 

माँ की गोद से 

चुप होने के लिये।।

~उज्ज्वल वाणी,

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