आज़ादी के महासमर मे लड़े हज़ारों यौद्धा, 

झांसी रानी, टोपे, मंगल जैसे कई पुरोधा। 

जगदीशपुर से उठा बवंडर पहुँचा मध्य तनय मे, 

अंकुश लगने लगा तभी अंग्रेजों के अभिनय मे। 

वीर पुरोधा माटी का एक शेर हुआ सिंह कुँवर , 

जिसने अपना तन मन जीवन कर डाला न्यौछावर। 

भारत भर मे स्वतंत्रता की जंग छिड़ी थी भारी, 

उसी जंग में कुँवर सिंह की देखो चोट करारी। 

अगर चाहते अंग्रेजों से हाथ मिला सकते थे, 

सुख साधन से जीने वाले फुल खिला सकते थे। 

अगर चाहते तो मखमल पर सोते चद्दर ताने, 

आवश्यकता क्या थी जो उतरे थे रक्त बहाने? 

सुनो सुनो भारत बेटे भारत के दीवाने, 

सूरज से ज्यादा जलते हैं मिट्टी के परवाने। 

कुछ आते हैं इस धरती पर खाने और कमाने, 

कुछ आते हैं धरती पर धरती का कर्ज चुकाने।। 

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