ये खालीपन तिरे आ जाने से भी भर नहीं सकता 

अकेले रहने से अब तो कभी मैं डर नहीं सकता 

 

बहुत टूटे हैं तब जाकर बढ़ा है हौसला इस हद

भले कितनी मुसीबत हो ये सपना मर नहीं सकता 

 

बड़ी मुश्किल लगी थी तब भरोसा जीत पाया सो 

यकीं हो आया के वो मुझ पे हमला कर नहीं सकता 

 

भरम मत रख मिरी जानां कि पर्वत सा जिगर है तो,

मिरी आँखों का झरना धीरे धीरे झर नहीं सकता 

 

नहीं है साथ जिसको नाज़ होता इस सफलता पर 

समझिये अब मिरा नुकसान कोई भर नहीं सकता 

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~उज्ज्वल वाणी

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