गाँव से शहर आए लड़के
सिर्फ शहर नहीं आते हैं…
वो समझौतेवादी होकर ढल जाते हैं.
अपने बैग और थैले में
सिर्फ कपड़े, किताबें और
कुछ खाने के समान नहीं लाते हैं…
साथ लाते हैं….
माँ की ममता, पिता के संस्कार
बहन की नेह तो भाई के उम्मीदों का संसार…
इन सब से परे अपने सपनों का भार
गाँव से शहर आए लड़के
सिर्फ शहर नहीं आते हैं…
~ प्रवीण कुमार