तुम्हारे दिल का हाल समझने में नाकाम रहा,
दिल मेरा एहसास तुम्हें खुलकर बताने में नाकाम रहा,
ज़ज़्बातों से अपनी तुम्हें रूबरू कराने में नाकाम रहा,
लफ्ज़ो से तारीफ़ तुम्हारी करने में नाकाम रहा।
गमों को दूर कर खुशियाँ तुम्हें देने में नाकाम रहा,
मैं तुम्हारी नज़रों को पढ़ने में नाकाम रहा,
प्रेम की पराकाष्ठा समझने में मैं नाकाम रहा,
मैं तुम्हें समझने में नाकाम रहा।
भावनाओं को समझ कर लिखने में मैं नाकाम रहा,
ज़िंदगी का सबसे खूबसूरत सम्बन्ध बनाने में मैं नाकाम रहा,
प्रेम की परकाष्ठा समझने में मैं नाकाम रहा,
हाँ. हाँ,तुम्हें पाने में मैं नाकाम रहा।
~अभिषेक सिंह अभि