थोड़ी देर और रुको मौत तो आ जाने दो,
फिर चले जाना मुझे खाक तो हो जाने दो।
थोड़ी देर और रुको…….
मेरे दिल में तुम्हारे साथ की चाहत न घटी,
मेरे होठों की अभी तक लाली न हटी,
तेरे संग जीने की उम्मीद अभी तक मुझे,
ऐसा कर लो कि ये वक्त गुजर जाने दो।
थोड़ी देर और रुको….……
स्वास अटकी है मेरे जिस्म से निकलती नही,
क्यों तेरी रूह मेरे हालात से पिघलती नही,
मै चली जाऊंगी एक बार मना लो मुझको,
आखिरी बार मुझे तुमसे रूठ जाने दो।
थोड़ी देर और रुको…….
बिछड़ के फिर कभी आए नही एक बार भी तुम,
पास आकर न कर सके जा निसार भी तुम,
तेरे आने से अश्कों ने बहना छोड़ा,
हाथ में हाथ तो दे मुझको संवर जाने दो।
क्यों है तू इस कदर से इतना सहमा सा हुआ,
ऐसा लगता है कि दुनिया से गहमा सा हुआ,
पास आने से मेरे क्यों तुझे लगता है डर,
तेरे हाथों से तो फिर कफन को सजाने दो।
थोड़ी देर और रुको………….
आखिरी बार तुझे देखू ,थी यही ख्वाहिश,
तेरे संग जिंदगी बिताने की थी कोशिश,
छूले अब मेरा जनाजा आके एक बार तो तू,
साथी मेरे अलविदा अब कब्र में सो जाने दो।।
थोड़ी देर और रुको……
पूनम सिंह भदौरिया
दिल्ली