दौतरफ़ा क्यों , एकतरफा भी प्रेम होता है।

प्रेम की सबसे सुंदर बात है की

प्रेम को प्रेमी की जरूरत है, प्रेमिका की नहीं..

 

किसी को देखकर या फिर सोचकर

गर किसी के दिल को सुकू मिलता है

फिर वो प्रेम है प्रेमिका के लिए प्रेमी का…

 

स्वार्थ से पड़े, छल -कपट से पड़े है

प्रेम का एहसास कुछ ऐसा है की

प्रेम में प्रेमिका के लिए प्रेमी

जितना भी करे उसे उतना ही कम लगता है…

 

ग़म गर उपहास है मानव के जीवन का

तो प्रेमिका ख़ुशी है प्रेमी की

और प्रेम उपहार है मानव के जीवन का…

 

प्रेम में प्रेमिका की चाहत से बढ़कर

उसकी ख़ुशी होती है प्रेमी के लिए

उसके गमों को भी हर लेता है

 

प्रेमी प्रेम में, प्रेमिका के लिए

खुशियाँ भी अपनी उसे दे देता है

मगर अश्रु मंजूर नहीं प्रेमी को

प्रेमिका के आँखों में…

 

~अभिषेक सिंह अभि

मुजफ्फरपुर (बिहार )

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