हर दर्द को सीने में दफनानेवाली,
प्यार से मेरे सर को सहलानेवाली
फूलों की डाली है माँ।
चांटा मारकर मुझको मेरे ज़ख्मों को चूम लेती है,
मुझे चुप कराते – कराते, माँ मेरी ख़ुद रो लेती है।
खिलाकर खाना भर पेट मुझे,
खुद ताने सुनकर सो जाती है।
संघर्ष करती, न्योछावर सारी खुशियाँ,
मानती सपनों को और मुझे वो, जीवन अपना।
कहती है, तू ही चंदा तू ही सूरज है मेरा,
तू औलाद नहीं, मेरे जीवन भर की पूंजी है।
समाज की मानसिकता से, डगर पे खड़ी चुनौतियों से
जागरूक मुझे हर कदम पे करती है।
दे कर ज्ञान, मेरा मार्गदर्शन करती है,
राह दिखा कर, निरर्थक जीवन सार्थक करती है।
मनुष्य न होने पर खुदा भी खुद को कोसता होगा,
माँ की ममता की खातिर तरसता होगा।
दिल का मीठा एहसास है माँ,
हर दर्द को सीने में दफनानेवाली,
प्यार से मेरे सर को सहलानेवाली,
फूलों की डाली है मेरी माँ।