दोषी कौन

फैक्ट्री में काम करते वक्त समर का फोन बजा। काम से छूटते ही समर हर रोज़ घर फोन करके माँ से बात करता था। उसकी माँ कुछ महीनों से बीमार थी। वह घर का काम करने में धीरे-धीरे असमर्थ हो गई तो बेटे को घर आने के लिये ज़िद करने लगी। बेटा फौरन आ गया जबकी अभी आधे महीना का काम बाक़ी था और उसे वेतन भी नहीं मिला।

” बचपन में माँ बच्चे की तकलीफ़ देख नहीं सकती है और बड़े होने पर बच्चे अपनी माँ की तकलीफ़ देख नहीं पाता है।”

घर आते ही समर को पता चला उसकी शादी की बात चल रही है। लड़की की तस्वीर आई। समर ने पूछा नाम क्या है पिताजी बोले रजनी। रजनी सुन्दर थी सो सभी को पसंद आ गई।

मुहूर्त देख अपने पडोसी जिले में शादी हुई । दहेज़ में हीरो बाइक,एक लाख रुपया,पलंग,कुर्सी, टेबल और भी बहुत कुछ मिला। रजनी पिता का घर छोड़ अपने पति संग ससुराल आ गई। मेहमान जबतक थे सब ठीक रहा। वैसे भी आजकल कौन ज्यादा दिन किसी के यहाँ ठहरता है। ठहर भी गया तो बोझ लगने लगता है। दो-तीन दिन बाद रजनी को अब घर देखना है अब वो सिर्फ बेटी नहीं बहु भी है। शादी कई नये रिश्ते के साथ ज़िम्मेदारी भी बढ़ाती है। महज एक दिन के अंतर में एक लड़की से परिवार वाले ये उम्मीद करते हैं कि ये अब सबका ख्याल रखेगी।

मिट्टी का घर लम्बा-चौड़ा था झाड़ू-बुहारु, चौका बर्तन कपड़े-लत्ते और खाना भी अब उसे ही बनाना था। अचानक इतना काम देखकर वो तनाव में आ जाती थी। काम करने से कतराती, रोने लगती थी आख़िर उसकी उम्र भी कितनी थी मात्र सोलह साल। अभी वो ठीक से यौवन भी पार नहीं की थी। रजनी के घर शिकायत जाने लगी कि आपकी बेटी ठीक से काम नहीं करती है, मोबाइल में घुसी रहती है और कहने पर रोने लगती है। “एक बाप के मन में हमेशा ये डर रहता है बेटी के ससुराल से कोई शिकायत न आ जाए” ।

 रजनी के पिता आँसू पोछते हुए हँसकर अपने समधी से बोले अभी बच्ची है धीरे-धीरे वो सब काम करने लगेगी। “पौधे से फल की प्राप्ति में देर लग जाती है समधी जी”। चलिए ठीक है आप ख़्याल रखियेगा मुझे थाना जाना है फिर करते हैं बात। इतना कहते ही फोन कट गई। रजनी मोबाइल देखकर अपना समय बिताती थी ससुराल वाले सोचते थे चलो ख़ुश तो रहती है न रोती नहीं है न। रात में समर सोने गया तो इंतज़ार करने लगा कि आज रजनी से वो बातें करेगा कि उसे ससुराल में क्या दिक्क़त हो रही है ? कहीं घूमने चलेंगे तो मन बहल जाएगा। समर मन में ऐसा सोच रहा था तभी रजनी मोबाइल चलाती हुई कमरे में आई, दरवाजा लॉक कर दी और मोबाइल में व्यस्त हो गई। समर ने बात छेड़ी “डार्लिंग रजनी” पति अपनी पत्नी को रिझाने के किये एक आध अंग्रेजी शब्द तो सीख ही लेता है। रजनी ध्यान नहीं दी, “ओये सुनो न यार ” क्यूँ कुछ नहीं बोल रही क्या हुआ, मन नहीं लग रहा चलो घूम कर आते हैं। रजनी का ध्यान कहीं और था इस पर समर को गुस्सा आया उसने मोबाइल छीन लिया और प्यार से बात करना चाहा। रजनी को ये हरकत पसंद नहीं आई। समर रजनी के बीच कभी सेक्स नहीं हुआ था। अपनी ओर खिंचकर समीर रजनी का माथा चूमा ओर जैसे ही वो होठ की ओर बढ़ा रजनी धक्का देकर अपने को अलग कर ली। समर फिर गुस्से में लेट गया। समर को नींद नहीं आ रही थी अब उसे शक होने लगा रजनी पर। सो उसके सोते ही समर उठा रजनी के हाथ से टच करके मोबाइल का फिंगर लॉक खोला। व्हाट्सप्प ओपन करते ही वो दंग रह गया। “बाबू! मुझे केवल तुम छू सकते हो और कोई नहीं”। उसके बाद उसने चैट पढ़ा नहीं मोबाइल सिरहाने रख लेट गया, कब नींद आई उसे भी पता नहीं। “कभी कभी शक करना भी सही होता है।” 

सुबह होते ही समर कहा चलो मम्मी पापा से मिल आते हैं। 

कई बार रोई थी रजनी घर जाना के लिये, ज़िद भी की थी पर कुछ बात न बनी थी। इसबार पति ख़ुद कह रहे चलो उसे शक हुआ पर वो टाल दी। माँ पिता से आशीर्वाद लेकर पत्नी को पहली बार बाइक के पीछे बिठाकर समर अपने ससुराल निकल गया। रास्ते में एक दोस्त ने चिढ़ाया भी “आज भौजी निकली है घर से खिलौना खरीदना पड़ेगा क्या समर।”

समर हंस कर टालते हुए निकल गया। रजनी बहुत ख़ुश थी वहीं समर अंदर से बहुत परेशान। समर का चेहरा देख राजनी के मम्मी पापा समझ गये थे कि कोई बात है। उन्होंने पूछा और दामाद जी अचानक आना हुआ, कोई परेशानी तो नहीं हुई आने में? रजनी ठीक से रहती है न। ख़्याल रखती है न अब समधनी जी का। समर रोक न पाया ख़ुद को कह दिया पापा जी रजनी किसी से प्यार करती है। इतना सुनते ही उनके होश उड़ गये ये क्या हो गया। समर पिता को संभाला पानी मंगवाया, रजनी को बुलाकर उसके सामने ये बात रखी गई पर वो इनकार करने लगी । पर सच कब तक छिपेगा रजनी को अंदाजा नहीं था ऐसा कुछ होगा। उसने फोन छीन कर चैट सबके सामने पढ़ा और उस लड़के का फोटो भी दिखा दिया जिससे वो प्यार करती थी। 

 “सात फेरे लेने वक्त लड़का व लड़की को अग्नि में अपने पूर्व प्रेम को त्याग देना चाहिए।”

मम्मी को पता चला तो वो छाती पीट-पीट कर रोने लगी 

“ई कि कर लहें गे बेटी बड़की ते नाम डुबाय देलको तहूँ वही करलें, हे भगवान! कथि ले कष्ट दे छो”। (ये क्या कर दी तुम बेटी, बड़ी वाली तो नाम बदनाम कर ही दी, तुम भी कमी नहीं की )

समर ये बात सुन लिया वो समझ गया मामला कुछ गड़बड़ है।

 “बड़ी बहन भागकर शादी कर ली सो छोटी की शादी कम उम्र में हो गई”।

समर रजनी को छोड़ कर अपने घर लौट गया। रास्ते मे केवल वह सोचता रहा उसके साथ जो नई मुसीबत आई है इसका ज़िम्मेदार कौन है?

~उज्ज्वल वाणी

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