अपने अराध्य महादेव की
कृपा से मिला था एक रोज़,
उससे पेपर से पहले।
एक खास अवसर पर
बहुत सुंदर लग रही थी,
आसमानी साड़ी में।
उसके बिखरे हुए केश
मोरपंख की भांति,
लहरा रहे थे उसकी साड़ी पर।
आँखों में काजल,
पैरों में पायल।
ललाट पर काली बिंदी,
लबों पर मुस्कान।
कानों में बड़े-बड़े झुमके,
नाक में नथुनी।
हाथों में लिए प्यारा-सा काला पर्स,
कलाइयों में चमकीले कंगन।
याद आता तुम्हारा लबों का मुस्काना,
बड़ा मुश्किल है तुम्हें यूँ भुला पाना…
~शिवेष