माँ की ममता प्यार प्रिय का सब से मुंह को मोड कर,
एक घर को जा रहा हूँ एक घर को छोड कर।
देख प्रिय का उदास चेहरा मन है विचलित हो रहा,
माँ के आंसू देख कर ये हृदय धीरज खो रहा।
एक तरफ बेटा भी मेरा बैठ कर के रो रहा,
मैं भी सब कुछ भूल कर उनके दु:खों में खो रहा।
उनके दु:खों को भारत उनकी खुशी से तौल कर,
एक घर को जा रहा हूँ एक घर को छोड़ कर ।
याद आयेंगें बहुत ही साथ में गुजरे ये पल,
याद आयेगी प्रिये की शाम जब जायेगी ढल।
आज तो मैं हूं यहां बिछड़ूंगा मैं सबसे कल,
कह रही घड़ी सुइयां चल भारत ना देर कर।
सारे दु:ख दिल में दबाकर दिल को अपने तोड़ कर,
एक घर को जा रहा हूँ एक घर को छोड कर ।
– भारत मौर्या