बस आदत थी , इश्क विश्क तो ना था
मेरी इस आदत को हवा दी गई है
मुस्कुराता था बहुत कभी मैं
इश्क के शक्ल में एक सज़ा दी गई है
उदास रहने की मुझको दवा दी गयी है
खुशी सारी , हाथों से गवा दी गई है
हिज़्र का ग़म मौत से भी कुछ कम नहीं
मरने से पहले कब्र मेरी बना दी गई हैं