नेताओं की सभा में ,

 

होर्डिंग पकड़े गरीबों की भीड़ थी ,

 बंट रही थी पानी की बोतलें, 

 बढ़ा रहा था हाथ लेने के लिये 

वहीं एक आठ-दस साल का बच्चा ,

 जद्दोजहद कर रहा था 

फेंकी गई बोतल को  

अपनी मैली थैली में भरने के लिये ,

ताकि उसे बेच कर अपनी भूख मिटा सके,

बात चल रही थी भूख मिटाने की,

गरीबी खत्म करने की,

भूख से लड़ने की,

नेताएं सिर्फ भाषण दे रहे थे,

लड़ तो वो बच्चा रहा था,

जिसे ये भी डर नहीं था,

 कि कहीं भीड़ उसे कुचल न दे,

पेट की आग सभी डर बुझा देती है।

 

~उज्ज्वल वाणी

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