मेरे कानों में,
गूँजती है एक आवाज़।
भ्रष्टाचार!! भ्रष्टाचार!!
खोखला करती देश को,
दीमक के समान।
किसी ने ना पाया पार,
मेरे देश में फैला भ्रष्टाचार!!
सरकारी संस्थान हो या गैर-सरकारी,
इसमें ही निर्लिप्त है।
अंग्रेजी शासन में फला-फूला,
किसी ने ना पाया पार,
मेरे देश में फैला भ्रष्टाचार!!
~शिवेष