मुकम्मल ग़ज़ल

किसी को याद हर पल कर रहा हूं
यक़ीनन ये मुसलसल कर रहा हूं
मुकम्मल हो नहीं पाई मुहब्बत
सो अब ग़ज़लें मुकम्मल कर रहा हूं

— सनी सिंह 

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