मुझे चार दीवारों में कैद रहने दो ..
मुझे नहीं देखना इस चमकती दुनियां को
जहां ऊपर से सोने की चमक है
और अंदर कांच का टुकड़ा है
जहां निकलते ही खुद को मैं महफूज ना पाऊं
वहां मुझे चार दीवारों में कैद रहने दो…
नहीं चाहती मैं अपने सपनो को पंख देना
ना ही लोगों को अपनी पहचान बताना
मैं नारी हूं इस अस्तित्व को बंद कमरों की दीवारों में दफनाना चाहती हूं..
मुझे चार दीवारों में कैद रहने दो…
डर लगता हैं लोगों की मासूमियत चेहरे के पीछे छुपे हैवान
चेहरे को देखना
खुद को किसी के नजरो में हवस का शिकार बनते देखना
अपनी रूह को टुकड़ों में बिखरते देखना
इन सब से डर लगता हैं मुझे
नहीं चहिए मुझे आजादी मुझे चार दीवारों में कै
द रहने दो..!!