मृत्युभोज (Mrityubhoj)

न वो मेरा दुश्मन है 

न मेरा अशुभ चाहता है 

फिर भी वो मेरी मौत पे ख़ुश होगा 

मृत्युभोज में उसे आमंत्रण नहीं दिया जाएगा 

सुबह होते ही वो दरवाजे पर दस्तक देगा 

दूर से ही आवाज़ देते

साहब! रात का कुछ बचा होगा 

अपनी बर्तन और थैली में 

वो भर ले जाएगा अपने पूरे परिवार के लिये 

वो चमार डोम नीची जाति का है 

जातिवाद हो रही है उसके साथ 

मगर वो ख़ुश है।

~उज्ज्वल वाणी 

 

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