मेरा न हो कर भी वो मेरा-सा है
वो मुस्कुराए तो मैं मुस्कुरा दूं…
मेरा इश्क बस इतना सा है ।
उसे पाने की चाहत नहीं, सब्र सा है
वो मेरी तरफ देखे, मैं नजरें चुरा लूं
मेरा इश्क बस इतना सा है ।
वो मेरे लिए मेरे जीवन में सुकून सा हैं
भले रहे वो बेखबर मैं फिर भी उस ही को चाहूं
मेरा इश्क बस इतना सा है ।
मेरी अमावसी रातों में वो पूनम के चांद सा है
उसके साथ का ख्वाब नहीं बस ख्वाबों में उसे देखना चाहूं
मेरा इश्क बस इतना सा है ।
✍️ समकित जैन “सारिकेय”©