इतने दिनों में
सड़कें बदलें,
दुकानें बदलें,
मंदिरों बदलें,
मस्जिदों बदलें,
घरों बदलें,
और बदलें पूरे परिवेश
नहीं बदलें तो फ़क़त अपनों का स्नेह।
उनके वो अनगिनत calls
कहने को कुछ ना रहने के बावजूद
घंटों तक फ़ोन से जुड़े रहना।
हैरानी इस बात की है की
पहुंचने से एक घंटे पहले से ही
स्टेशन पर इंतज़ार
कोई कर सकता है भला…??
हां, कर सकता है ना
वो है मां ❤️
Viñi ✍️