ये क़ाफ़िलें चलते ही रहेंगे

ये क़ाफ़िलें चलते ही रहेंगे

ना तुम रहोगे ना हम रहेंगे,

रहेंगी दुनिया में ये बहारें 

बहारों में फिर से गुल खिलेंगे

 

ये क़ाफ़िलें……………….!

 

वो ही पुरानी कहानी होगी

फिर एक मीरा दीवानी होगी,

जलेंगे फिर से ज़माने वाले 

उसी जलन में दो घर जलेंगे 

 

ये क़ाफ़िलें……………….!

 

ये दुनिया वाले हिसाब लेंगे

उन्हें बदचलन का ख़िताब देंगे, 

कहीं कोई मासूम दो दिल

ज़माने भर के सितम सहेंगे

 

ये क़ाफ़िलें……………….!

 

ये शाम होगी ये रात होगी

फिर आंसुओं की बारात होगी,

चलेंगे यादों के तीर दिल पे 

और बहते आंसू यही कहेंगे

 

ये क़ाफ़िलें……………….! 

 

  – भारत मौर्या 

 

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