मिटानी है तस्वीर उसकी जला लेने दे,
क़ैद है लम्हें जिन ख़तों में उन्हें मिटा लेने दे,
मुझको जी भरकर जी लेने दे,
वो जा रही है गर तों उसे जाने दे।
उम्मीदों कों तू टूट जाने दे,
आँखों में पड़े अश्कों कों बह जाने दे,
नया – नया ग़म है इसे आ जाने दे,
वो गर जा रही है तों उसे जाने दे।
यादें सता रही हैं सता लेने दे,
दिल कों थोड़ा तू तड़पने दे,
जैसा चल रहा है वैसा चलने दे,
ग़म में भी मुस्करा रहा हूँ मुझको मुस्कुराने दे।
~ अभिषेक सिंह अभि