ये हमारे नयन वो तुम्हारे नयन
जब मिले तो ये मिलकर बरसनें लगे
बूंद तन पर गिरी तार झंकृत हुए
राग फूटे के हम गीत रचने लगे
आँख रोई बहुत मन सिसकता रहा
फिर ह्रदय से लिपटकर ह्रदय मिल गए
ऋतु बसंती न थी फिर भी जानें कहां
मन के इस रेत में गुलमोहर खिल गए
वो तुम्हारे अधर ये तुम्हारे अधर
जब मिले तो ये बादल गरजनें लगे
बूंद तन पर गिरी तार झंकृत हुए
राग फूटे के हम गीत रचने लगे
चांद को चांदनी का गुमा हो गया
खुदको जानें वो क्या ही समझनें लगा
मद में डूबा अचानक उठा चल दिया
और सूरज से जाकर उलझनें लगा
एक दिन मुफ्त की रोशनी न मिली
चांद तो चांद तारे तरसनें लगे
बूंद तन पर गिरी तार झंकृत हुए
राग फूटे के हम गीत रचने लगे
साख हो तुम अगर मैं तेरा पात हूं
लाख तूफां हों पर तेज चलना नहीं
कान कोई भरे तुमको बहकाए पर
प्यारे संबंध को यार छलना नहीं
दो परिंदों ने बातें हमारी सुनी
बस इसी बात पे दोनो हसनें लगे
(मेरे तन के घरौंदो में बसनें लगे)
बूंद तन पर गिरी तार झंकृत हुए
राग फूटे के हम गीत रचने लगे
बहुत सुंदर 👏
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय
Waah
Tq so much