करो स्वीकार नमन हे ” बिहार “
धन्यभाग्य है जननी, जन्म भूमि
कर्म भूमि मेरी, मेरा संस्कार
मानवता को ही धर्म बताती
संघर्ष को सफलता की सीढ़ी
कवियो की भाव भूमि, जन्म की स्थली
सौभाग्य कि मैंने भी यही जन्म ली
अज्ञान के अंधियारो में ज्ञान की रोशनी
संघर्ष, बहादुरी, जाबाज़ी संदेशो की है जननी
क्या हुआ जो ज्ञान के भंडार
पर लुटेरो ने आक्रमण कर की आगजनी
जली किताबें जले भवन पर
ज्ञान कहाँ जलने वाला था
ज्ञान के स्रोत की आत्म पर
कहाँ चला उनका जोर, प्रहार
हार नहीं मान सकता वो है बिहार
ज्ञान का भंडार ऐसा कि नासा भी
(सर झुकाये )
क्रांति की लौ यही से परिवर्तन की
(राह दिखाये )
करो स्वीकार नमन हे ” बिहार “
धन्यभाग्य है जननी, जन्म भूमि
कर्म भूमि मेरी, मेरा संस्कारमानवता को ही धर्म बताती
संघर्ष को सफलता की सीढ़ीकवियो की भाव भूमि, जन्म की स्थली
सौभाग्य कि मैंने भी यही जन्म लीअज्ञान के अंधियारो में ज्ञान की रोशनी
संघर्ष, बहादुरी, जाबाज़ी संदेशो की है जननीक्या हुआ जो ज्ञान के भंडार
पर लुटेरो ने आक्रमण कर की आगजनीजली किताबें जले भवन पर
ज्ञान कहाँ जलने वाला थाज्ञान के स्रोत की आत्म पर
कहाँ चला उनका जोर, प्रहार
हार नहीं मान सकता वो है बिहारज्ञान का भंडार ऐसा कि नासा भी
(सर झुकाये )
क्रांति की लौ यही से परिवर्तन की
(राह दिखाये )अवतरित हुए भगवान यही
यही से फैला ज्ञान का प्रकाश
पावन गंगा की धारा स्नान कराती
इस धरा को, दूर करती दुख, संताप
ऐसा है बिहार मेरा
विहार करता, यहाँ संस्कार
प्रणाम तुझे बारंबार बारंबार।
– अभिषेक सिंह “अभि “
शत शत नमन करे कवि “अभि “
