चाहतों का एक घर हूं,
प्रेम से मैं तर ब तर हूं।
इश्क के हर मोड़ पे मैं
राह तकती इक नज़र हूं।
दर्द का है इल्म इतना,
दर्द से अब बेखबर हूं।
जिंदगी की राह में अब
एक तपती दोपहर हूं।
मुझपे झूले मत लगाओ
मैं तो इक सूखा शजर हूं।
— साक्षी
चाहतों का एक घर हूं,
प्रेम से मैं तर ब तर हूं।
इश्क के हर मोड़ पे मैं
राह तकती इक नज़र हूं।
दर्द का है इल्म इतना,
दर्द से अब बेखबर हूं।
जिंदगी की राह में अब
एक तपती दोपहर हूं।
मुझपे झूले मत लगाओ
मैं तो इक सूखा शजर हूं।
— साक्षी
जिस दिन तुम खुद को पहचान लोगे, उस दिन तुम्हारी दुनिया बदल जाएगी।
रवींद्रनाथ ठाकुर
यह मंच विशेष रूप से हिंदी कवियों और लेखकों के लिए बनाया गया है, ताकि वे अपनी रचनात्मकता को दुनिया के सामने प्रस्तुत कर सकें और अपनी रचनाओं पर अधिकार का दावा कर सकें। हम समझते हैं कि सुंदर कविताएं लिखने में कितनी मेहनत और समर्पण लगता है, और इसी कारण हम आपको एक सुरक्षित जगह प्रदान कर रहे हैं, जहां आपकी रचनाएं चमकेंगी और सही प्रशंसकों तक पहुंचेंगी।
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