बेवफाई की बेड़ियां मेरे गले को कस रही है,
मेरी सांसे सिगरटों के धुएं में फस रही है,
दिल भी अब कुछ धीमा धीमा धड़क रहा है,
हा है मेरी रूह खुद्खुशी को तरस रही है,
वो अपने चाहने वालों के किस्से खुद सुना रहा है,
उसके ये बाते मेरे जहन में बस रही है,
एक हम है कि रो रो कर उसे ख़ुदा से मांग रहे रहे हैं,
एक वो है कि अपने आशिकों की तादात बढ़ती देख हस रही है।
~Radheshwar