हाल दिल का छिपाया नहीं जाएगा
पर ज़ुबां पे भी लाया नहीं जाएगा
लिख रहा हूं मैं पन्नों पे दिल की खलिश
जानता हूं ये ज़ाया नहीं जाएगा
हाल दिल का छिपाया नहीं जाएगा
पर ज़ुबां पे भी लाया नहीं जाएगा
लिख रहा हूं मैं पन्नों पे दिल की खलिश
जानता हूं ये ज़ाया नहीं जाएगा
जिस दिन तुम खुद को पहचान लोगे, उस दिन तुम्हारी दुनिया बदल जाएगी।
रवींद्रनाथ ठाकुर
यह मंच विशेष रूप से हिंदी कवियों और लेखकों के लिए बनाया गया है, ताकि वे अपनी रचनात्मकता को दुनिया के सामने प्रस्तुत कर सकें और अपनी रचनाओं पर अधिकार का दावा कर सकें। हम समझते हैं कि सुंदर कविताएं लिखने में कितनी मेहनत और समर्पण लगता है, और इसी कारण हम आपको एक सुरक्षित जगह प्रदान कर रहे हैं, जहां आपकी रचनाएं चमकेंगी और सही प्रशंसकों तक पहुंचेंगी।
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Bahut Acche Sani bhai
बहुत बढ़िया ❤️